जब गुरु नानक ने मक्का मदीना में किया चमत्कार


सिक्खों के प्रथम गुरु नानक देव बचपन से चमत्कारी थे. उनके चमत्कार के चर्चे दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे. नानक ने अपने जीवन में कई देशों की यात्रा किया,
गुरु के उन यात्राओं के पीछे समाज कल्याण का भाव और समाज में फैली कुरीतियां व  भ्रामक धारणाओं को नष्ट करना था. सर्व भाव संभव के इरादे से नानक देव  कई मुस्लिम देश और अरब देशों में गए और उन यात्राओं के दौरान उन्होंने कई चमत्कार किया.
नानक देव के उन चमत्कारों के पीछे का प्रायोजन, केवल एक ईश्वरीय भाव को दर्शाना था. धरती पर आज भी उनके द्वारा किये गए चमत्कारों के प्रतीक मौजूद हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरु नानक देव ने अपनी शक्तियों के बल पर मुस्लिमों के पवित्र स्थल काबा की दिशा ही बदल दी थी.
उनके इस चमत्कार के पीछे भी बहुत बड़ा संदेश था. तो चलिए जानते हैं कि आखिर नानक देव ने  ऐसा चमत्कार क्यों किया.
चमत्कारिक आभा के साथ जन्मे थे नानक देव
शेखपुरा (पाकिस्तान) के तलवंडी जिले में कालूचंद वेदी के घर 15 अप्रैल 1469 को एक तेजस्वी-ओजस्वी पुत्र पैदा हुआ. वह बालक कोई और नहीं गुरु नानक देव थे. उन्हें नानक नाम उनकी बेबे नानकी से मिला.
उनके जन्म के बाद परिवार वाले बेहद खुश थे. शायद परिवार वालों को इस बात का अभ्यास हो चुका था कि उनके घर जन्म लेने वाला कोई साधारण बालक नही.
नानक  मस्तक पर शुरू से ही तेज आभा थी, उनकी तेज आभा को देखकर परिवार ने उनके जन्म को  राजयोग  से जोड़कर देखना शुरू कर दिया था, लेकिन, उनकी बड़ी बहन ननकी की सोच परिवार वालों की सोच से बिल्कुल विपरीत थी.
नानकी ने अपने परिजनों से कहा कि आप विश्वास करें या ना करें मेरे भाई के जीवन में राजयोग नहीं होगा, वह एक गुरु बनेगा वह समाज के हर वर्ग को प्यार करेगा, वह दुनिया को महान विचार देगा. मानो नानकी के श्रीमुख से निकले शब्द अपने भाई नानक देव के भविष्य की रचना कर रहे थे.
कहा जाता है कि नानक देव के विवाह के पश्चात इनके पिता ने उन्हें रोजगार के लिए कुछ धनराशि दी थी, लेकिन, नानक देव ने उन पैसों से गरीब साधु संतों को भोजन करा दिया. यही से उनमें सेवा और सन्यासी भाव उत्पन्न हुआ.
एक मान्यता के अनुसार नानक देव जी  बेई नदी में स्नान करने रोजाना जाते थे. एक दिन वे स्नान करने के बाद घूमते-घूमते कही अंतर्ध्यान हो गए. तभी उनकी मुलाकात एक परमात्मा से हुई. परमात्मा ने नानक देव जी को जन सेवा लोक कल्याण के लिए अपना सर्वस्त्र त्याग कर जन कल्याण में लग गए.
शिष्य की बात सुनकर मक्का जाने का फैसला किया
गुरु नानक देव समाज को सेवा भाव प्रदान करने के साथ लोगो में जड़ चेतना जगाने का भी काम कर रहे थे. उनके साथ उनके कई शिष्य भी नानक देव जी के साथ सहयोगी के रूप में सेवा प्रदान किया करते थे. एक बार की बात है कि नानक देव अपने विश्राम-गृह में आराम कर रहे थे, तभी उनका एक शिष्य मरदाना उनके पास पंहुचा, मरदाना धार्मिक रूप से मुस्लिम था.
उसने गुरु नानक से मक्का जाने की इच्छा व्यक्त की. जब गुरु नानक ने मक्का जाने का कारण पूछा तो, मरदाना ने बताया कि गुरुदेव मैं एक मुसलमान हूँ, इस लिहाज़ से ऐसा माना जाता है कि जब तक एक मुसलमान पवित्र मक्का की यात्रा नहीं कर लेता तब तक वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता है.
मरदाना की बात सुनकर गुरु देव ने उसे कहा कि खुदा तो सभी जगह व्याप्त है फिर मक्का ही क्यों? गुरु देव के कई बार समझाने के बावजूद भी मरदाना उनकी बातों को  नही समझ पाया, तो गुरु नानक देव ने भी मक्का जाने का फैसला कर किया.
उन्होंने मरदाना से मक्का चलने की तैयारी के लिए बोला. अब मक्का जाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. हाजियों का एक जत्था हज के लिए रवाना होने वाला था. नानक देव और उनके शिष्य हाजियों के नीले रंग वाले पोषक में मक्का जाने को तैयार थे. उसी जत्थे में शामिल हो गए और निकल पड़े मक्का.
जब काबा में दिखा अद्भुत चमत्कार  
गुरु नानक देव जहाज के रास्ते अरब पहुंचे और कुछ हफ्तों के बाद वे मुस्लिमों के पवित्र मक्का पहुंच गए. मक्का में अल्लाह के द्वार पहुंचकर भाई मरदाना की खुशी का कोई ठिकाना न था. वह बहुत ज्यादा विभोरित नज़र आ रहा था.
एक लम्बी यात्रा के बाद काबा पहुंचे हज़-यात्री बेहद थकान  महसूस करने लगे थे. सूर्य अस्त भी होने लगा था. गुरु नानक और मर्दाना भी इस यात्रा से बहुत थके हुए थे. इसलिए नानक देव ने मस्जिद में ही आराम करने का फैसला किया. वह अपने पैर काबा की ओर करके सो गए जहाँ अल्लाह का घर था.
रात धीरे-धीरे ढलने लगी सूर्य उदय होने को था. तभी जीवन नाम का एक पुजारी भारत से आए हज यात्रियों की सेवा के लिए पहुंचा. तभी उसकी दृष्टि गुरु नानक देव पर पड़ी. वह उन्हें बड़े ध्यान से देख रहा था. अचानक उसकी दृष्टि जब गुरुदेव के पैर पर पड़ी तो वह गुरुदेव के पैरों को देखकर भौंचक्का रह गया.
गुरु नानक देव मक्का की ओर पैर करके सो रहे थे. गुस्से में तमतमाया जीवन नानक देव पर चिल्लायाकौन हैं यह काफ़िर, नास्तिक जो काबा की ओर पांव कर सोया हुआ है. चिल्लाने की आवाज से नानक देव की आँखे खुल गई. गुरु देव बोले "हे महोदय, मुझे खेद है, मुझे नहीं पता था कि खुदा का दरबार किधर है.
मैं बहुत थका हुआ था इसलिए साफ सुथरी जगह देखकर लेट गया. तुम मेरा पैर पकड़ कर उधर कर दो जिधर खुदा का घर नहीं है. गुरु जी की बात सुनकर जीवन और भी आगबबूला हो गया, उसने गुरु जी के पैरों को घसीटते हुए दूसरी दिशा में कर दिया.
इसके बाद जब उसने नानक देव के पैरों को छोड़कर देखा तो वह हक्का-बक्का रह गया. उसने देखा कि् नानक देव जी के पैरों के साथ काबा की दिशा भी बदल गयी. इस तरह उसने जब फिर से उनके पैरों को दूसरी दिशा में किया, फिर काबा उसी ओर घूमते हुए नजर आया। इस अद्भुत चमत्कार को देखकर जीवन बहुत डर गया. इसके बाद….
चमत्कार के मुरीद हुए मक्का के लोग
गुरु देव की अद्भुत लीला को देख कर लोगों की आंखे फटी रह गई. देखते-देखते चमत्कार की बात पूरे मक्का में आग की तरह फैल गई. लोगों का हजूम एक जगह इकट्ठा होने लगा. मक्का की दिशा बदलते देखकर लोग दंग थे. ऐसे हालत में लोगों ने गुरु नानक जी के चरणों पर गिर पड़े. वह अपने इस भूल के लिए उनसे क्षमा याचना करने लगे.
जीवन भागते-भागते काबा के मुख्य ईमाम को सारी बातें बताई. काबा के मुख्य इमाम रुकंदीन को जानकारी हुई तो वह गुरु देव से  मिलने आया. गुरुदेव से मिलने के बाद उसने उनसे उनका परिचय पूछा, गुरुदेव ने अपना परिचय दिया. इसके बाद तो वह उनसे आध्यात्मिक प्रश्नों की झड़ी लगा दी. शायद उसे अभी भी अपने कानों पर विश्वास नहीं था.
वह नानक देव जी से कहने लगा कि मुझे जानकारी मिली है कि आप गैरमुस्लिम हैं फिर यहाँ आप किस मकसद से आएं है. गुरु नानक देव ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं आप सभी के दर्शनों के लिए यहां आया हूं. गुरु देव की वाणी सुनकर काबा का इमाम कुछ समय के लिए निशब्द हो गया.
नानक देव जी ने काबा के मौलानाओं के प्रश्नों के उत्तर देने के बाद वे सभी गुरुदेव के चरणों में नतमस्तक हो गए. कुछ समय बिताने के बाद जब नानक देव मक्का से चलने की तैयारी करने लगे तो काबा के पीरों ने गुरु नानक देव जी से गुजारिश किया कि उनकी एक निशानी के तौर पर अपना खडाऊं उन्हें दे जाएँ. गुरुदेव ने अपना खडाऊं उन्हें निशानी के तौर पर दे दिया और मदीना यात्रा के लिए निकल पड़े. बताया जाता है कि आज भी गुरुदेव का वह खडाऊं मक्का में देखा जा सकता है.
तो यह थी गुरु नानक देव से जुड़े कुछ पहलू. अगर आपके पास भी उससे जुड़ी कोई जानकारी है, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें.
Web Title: Tale of Lord Buddha's Son Rahula, Hindi Article
Feature Image Credit: YouTube

Comments

Popular posts from this blog

तुलसीदास का पत्नी मोह

बुद्ध का पुत्र राहुल त्याग का प्रतिक ||