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Showing posts from April, 2018

सादगी

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सादगी  सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं  मुफलिसों के पन्नों पर विषाद लिखता हूं तृप्ति की प्यास में लफ्जों की मिठास है चाहतों के पर कहीं लगे हैं आकाश में यह गजलें यह महफिल शोखियों का डेरा तन्हाइयों की महफिल यह कैसा बसेरा  ऐसा देपन की सौगात लिखता हूं  सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं यह शब्द मधु मिठास यह होठों की प्यास स्वप्न से तराशा तुम्हें अजीज ए खास जैसे मीरा को कृष्ण की थी बरसों से तलाश  स्वर्णिम तन्हाइयों का हिसाब लिखता हूं सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं  केशों से फिसलते हथेलियों का रिसाव  चंचलता की मूरत में गुरुरता का सवाब चाहतों के शब्दों में तीखा खटास  कल्पनाओं की मियाद और  रिश्ते की बुनियाद लिखता है सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं                                                                      ...

आज भारत बंद है

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आज भारत बंद है हर गली हर नुक्कड़, चौराहे क्यों संद है| सड़के हैं वीरान जन जन परेशान, कहीं जीत तो कहीं हार की यह जंग है  आज भारत बंद है| चालको की चाल में वह यात्री बेहाल में राजनीति के रण में  कहीं शोरगुल तो कहीं सन्नाटा  कोलाहल का प्रसंग है  आज भारत बंद है मानवता का होड़ आरक्षण का शोर  हथगोले बनाते शांति दूत गंध जात व पात विशेष भूभाग  संप्रदायिकता के शूल पे नाचते दबंग हैं | आज भारत बंद है| महंगाई के मुद्दे , नकाबपोश गुंडे भ्रष्टाचार नरसंहार सियासी बाजारों में भगवा केसरिया लुटाते बेढंग है | आज भारत भारत है| फैला है आवरण जंतर मंतर शर्मसार लूटता है चीर कहीं बीचों  बाजार माटी की बागडोर अधर्मी के संग अपनों के बहते लहू द्वंदात्मक रंग है| आज भारत बंद है इंसान का इंसानियत शुद्धता में खोया है| बोझा उठाने वाला भूखे पेट सोया है| जानें या भारत का कैसा विहंगम है| आज भारत बंद है||             ...

मशीन मनुष्य के अधीन या मनुष्य मशीन के अधीन

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मशीन मनुष्य के अधीन या मनुष्य मशीन के अधीन 21वी शदी में मानव उस दौड़ से गुजर रहा है, जहाँ मशीनों ने मानव रुपी समाज को मशीन के अधीन बना दिया है, जैसे जैसे मशीनीकरण ने शारीरिक श्रम को विस्थापित किया, वैसे वैसे वैश्विक समाज का रूप और स्वरूप बदला! वह बदलाव शायद उस समय की जरुरत थी, मनुष्य इस बात से अनभिज्ञ था कि, उसका इजात किया हुआ मशीन भविष्य में उसकी प्रकृतिक क्षमता को कम कर देगी या समाप्त कर देगी| समय में परिवर्तन हुआ और मनुष्य के ऊपर इस का प्रभव दिखाई देने लगा| हथेलियों पर किये हुए कैलकुलेशन पर विश्वास नहीं रहा परन्तु उस कैलकुलेटर पर विश्वास है |वास्तविकता यह भी है की समाज की जरूरत मशीन है और वास्तविकता यह भी है की मशीनों ने आन्तरिक रूप से सामजिक ढांचे को कमजोर कर दिया है|  हमें अमेरिका में रह रहे दोस्त की जानकारी तो है, परन्तु पड़ोस में रह रहे लोंगों की कोई जानकारी नही | कई बार हम देखतें है की पड़ोस में मानसिक बीमारी के कारण लोग अपने धारों में बंद थे, परन्तु यह बात पड़ोसियों को भी नहीं मालूम की कैसे कैसे लोग उनकी पड़ोस में  रह रहें है| यह है मशीन द्वारा निर्मित ...

तुलसीदास का पत्नी मोह

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 तुलसीदास का पत्नी मोह                                         भक्ति रस में विभोर तुलसीदास को कौन नहीं जानता रामचरित्र मानस में राम के प्रति प्रेम  उनकी  की अनंत भक्ति को परिलक्षित करता है। हिंदी साहित्य के सिद्ध पुरुष गोस्वामी तुलसीदास का जन्म और जीवन दोनों ही अति रोचक रहा है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि  30  जुलाई  1554  में उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में  उनका  जन्म हुआ ,  जन्म के दूसरे ही दिन उनकी माता हुलसी का देहांत हो गया  |  इस के पश्चात     जब उनका जन्म  हुआ तो  रोने की वज ाय उनके  श्रीमुख से  राम  नाम निकला ,   फिर होना क्या था उनके घर का ही नाम रामबोला हो गया। माता हुलसी के निधन के बाद चुनिया नाम की दासी ने  5  वर्षों तक रामबोले का पालन पोषण किया। इसके बाद चुनिया का भी देहांत हो गया चुनिया के देहांत के बाद रामबोला एकांत अनाथों जैसा जीव न जीने ...

मेरा पहला ब्लॉग

नमस्कार मित्रों मैं राहुल कुमार एक नया आगाज़ के साथ ब्लॉग लिखना प्रारंभ कर रहा हूँ | उम्मीद करता हूँ की आप मेरे साथ जुड़ाव महसूस करेंगे |