सादगी

सादगी सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं मुफलिसों के पन्नों पर विषाद लिखता हूं तृप्ति की प्यास में लफ्जों की मिठास है चाहतों के पर कहीं लगे हैं आकाश में यह गजलें यह महफिल शोखियों का डेरा तन्हाइयों की महफिल यह कैसा बसेरा ऐसा देपन की सौगात लिखता हूं सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं यह शब्द मधु मिठास यह होठों की प्यास स्वप्न से तराशा तुम्हें अजीज ए खास जैसे मीरा को कृष्ण की थी बरसों से तलाश स्वर्णिम तन्हाइयों का हिसाब लिखता हूं सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं केशों से फिसलते हथेलियों का रिसाव चंचलता की मूरत में गुरुरता का सवाब चाहतों के शब्दों में तीखा खटास कल्पनाओं की मियाद और रिश्ते की बुनियाद लिखता है सादगी के चर्चे बेहिसाब लिखता हूं ...