तुलसीदास का पत्नी मोह भक्ति रस में विभोर तुलसीदास को कौन नहीं जानता रामचरित्र मानस में राम के प्रति प्रेम उनकी की अनंत भक्ति को परिलक्षित करता है। हिंदी साहित्य के सिद्ध पुरुष गोस्वामी तुलसीदास का जन्म और जीवन दोनों ही अति रोचक रहा है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 30 जुलाई 1554 में उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में उनका जन्म हुआ , जन्म के दूसरे ही दिन उनकी माता हुलसी का देहांत हो गया | इस के पश्चात जब उनका जन्म हुआ तो रोने की वज ाय उनके श्रीमुख से राम नाम निकला , फिर होना क्या था उनके घर का ही नाम रामबोला हो गया। माता हुलसी के निधन के बाद चुनिया नाम की दासी ने 5 वर्षों तक रामबोले का पालन पोषण किया। इसके बाद चुनिया का भी देहांत हो गया चुनिया के देहांत के बाद रामबोला एकांत अनाथों जैसा जीव न जीने ...
यूं तो आपने त्याग और बलिदान के किस्से-कहानियां बहुत होगी, लेकिन उन किस्से-कहानियों में बुद्ध के पुत्र राहुल की कहानी कहीं आगे है. जी हां! राहुल की कहानी , त्याग और बलिदान की कहानी. ये कहानी तब शुरू होती है, जब बुद्ध के पिता ने उनके इच्छा के विपरीत जारकर उनका विवाह कर दिया. उस समय महात्मा बुद्ध महज 16 वर्षीय सिद्धार्थ हुआ करते थे. सिद्धार्थ गौतम ने विवाह से पहले हीं मन बना लिया था की, वह सांसारिक सुखों का परित्याग कर सन्यासी जीवन यापन करेंगे! ऐसे में विवाह होना और फिर, पुत्र राहुल का जन्म होना सिद्धार्थ गौतम के लिए किसी बाधा विपत्ति से कम नही था. तो चलिए जानते हैं कि आखिर महात्मा बुद्ध अपने हीं पुत्र को बाधा विपत्ति और दुख से परिभाषित क्यों किया____ जन्म के साथ ही बुद्धा ने त्याग दिया. जब सिद्धार्थ गौतम 16 साल के थे, तभी उनके पिता सुबोधन ने उनका विवाह यशोधरा से करा दिया. हालांकि सिद्धार्थ गौतम संन्यासी जीवन का पालन करना चाहते थे, लेकिन दाम्पत्य जीवन में बंधने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए. विवाह के कुछ समय के पश्चात उन्हें पुत्री हुई और उसके कुछ साल बाद ...
सिक्खों के प्रथम गुरु नानक देव बचपन से चमत्कारी थे. उनके चमत्कार के चर्चे दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे. नानक ने अपने जीवन में कई देशों की यात्रा किया , गुरु के उन यात्राओं के पीछे समाज कल्याण का भाव और समाज में फैली कुरीतियां व भ्रामक धारणाओं को नष्ट करना था. सर्व भाव संभव के इरादे से नानक देव कई मुस्लिम देश और अरब देशों में गए और उन यात्राओं के दौरान उन्होंने कई चमत्कार किया. नानक देव के उन चमत्कारों के पीछे का प्रायोजन , केवल एक ईश्वरीय भाव को दर्शाना था. धरती पर आज भी उनके द्वारा किये गए चमत्कारों के प्रतीक मौजूद हैं , लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरु नानक देव ने अपनी शक्तियों के बल पर मुस्लिमों के पवित्र स्थल काबा की दिशा ही बदल दी थी. उनके इस चमत्कार के पीछे भी बहुत बड़ा संदेश था. तो चलिए जानते हैं कि आखिर नानक देव ने ऐसा चमत्कार क्यों किया. चमत्कारिक आभा के साथ जन्मे थे नानक देव शेखपुरा (पाकिस्तान) के तलवंडी जिले में कालूचंद वेदी के घर 15 अप्रैल 1469 को एक तेजस्वी-ओजस्वी पुत्र पैदा हुआ. वह बालक कोई और नहीं गुरु नानक देव थे. उन्हें नानक नाम उनकी बेबे ...
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